औरंगजेब

  Last Update - 2023-06-12

औरंगज़ेब का जीवन परिचय -
जन्म (Aurangzeb Born) - 3 नवम्बर, 1618
जन्मस्थान - गुजरात के दाहोद जिले
मृत्यु - 3 मार्च, 1707 (88 वर्ष)
मृत्युस्थान - अहमदनगर के पास (महाराष्ट्र)
पूरा नाम - अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मोहम्मद औरगंजेब आलमगीर
पिता - शाहजहाँ
माता - मुमताज महल
धर्म - सुन्नी इस्लाम
गुरू - मीर मुहम्मद हकीम
भाई - दारा शिकोह, शाह शुजा, मुराद
बहनें - जहानारा, रोशनारा, गौहरारा
विवाह - 18 मई, 1637 ई.
पहली पत्नी - दिलरास बानो बेगम (रबिया बीबी)
शासन काल - 31 जुलाई 1658 - 3 मार्च 1770
शासन अवधि - 50 वर्ष
उपाधि - आलमगीर (Alamgirnama), जिन्दापीर, शाही दरवेश
भाषा-ज्ञान - अरबी, फारसी, तुर्की भाषा का ज्ञान
पत्नियाँ - उदैपुरी महल, बेगम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम, रबिया दुर्रानी, औरंगाबादी महल, उदयपुर महल, जैनबाङी महल, झैनाबादी महल
पुत्र - मुहम्मद आजम शाह, मुहम्मद सुल्तान, बहादुर शाह प्रथम, सुल्तान मुहम्मद अकबर, मुहम्मद काम बख्श।
पुत्रियाँ - जेब उन्न निसा, जीनत उन्न निसा, बद्र उन्न निसा, जब्त उन्न नीसा, मेहर उन निसा।
प्रथम राज्याभिषेक - 31 जुलाई, 1658 ई. (दिल्ली में)
द्वितीय राज्याभिषेक - 15 जून 1659 ई. (दिल्ली में)
मकबरा - औरंगाबाद ज़िले के ख़ुल्दाबाद नामक शहर (महाराष्ट्र)

औरंगजेब का जन्म कब हुआ -

औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर, 1618 को गुजरात के दाहोद जिले में हुआ था।

औरंगजेब का पारिवारिक जीवन -

इनके पिता शाहजहाँ उस समय गुजरात के शासक थे। इनकी माता मुमताजमहल थी। औरंगजेब मुमताजमहल और शाहजहाँ के तीसरे पुत्र थे। 1626 में उनके पिता शाहजहाँ के असफल विद्रोह के कारण औरंगजेब और उनके भाई दारा शिकोह को उनके दादा जहाँगीर ने लाहौर दरबार में बन्धक बना दिया था।

26 फरवरी 1628 में शाहजहाँ को अधिकारिक तौर पर मुगल बादशाह घोषित किया गया और औरंगजेब अपने माता-पिता के साथ आगरा किले में लौटा गया। औरगंजेब ने आगरा में अरबी व फारसी भाषा में औपचारिक शिक्षा ली। औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा एवं अन्तिम शासक था।

एक बार 1633 में आगरा में कुछ हाथियों ने हमला कर दिया, जिससे प्रजा में भगदङ मच गई। औरंगजेब ने बङी बहादुरी के साथ अपने जान को जोखिम में डालकर इन हाथियों से मुकाबला किया। यह देख उनके पिता शाहजहाँ बहुत खुश हुए और उन्हें सोने से तौल दिया। साथ ही बहादुर की उपाधि भी दी। अपनी सूझ-बुझ से वे अपने पिता के सबसे प्रिय पुत्र बने गये।

औरंगजेब का विवाह कब हुआ था -

  • 18 मई, 1637 ई. को औरंगजेब का विवाह फारस राजघराने की राजकुमारी दिलरास बानो बेगम (रबिया बीबी) से हुआ था। यह उनकी पहली पत्नी थी।
  • इसके अलावा उनकी कई और बेगम भी थी, जिनमें बेगमें - उदैपुरी महल, बेगम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम, रबिया दुर्रानी, औरंगाबादी महल, उदयपुर महल, जैनबाङी महल, झैनाबादी महल।

औरंगज़ेब के कितने बेटे थे ?

औरंगज़ेब के पाँच बेटे थे -

  • मुहम्मद आजम शाह
  • मुहम्मद सुल्तान
  • बहादुर शाह प्रथम
  • सुल्तान मुहम्मद अकबर
  • मुहम्मद काम बख्श।

औरंगज़ेब की कितनी बेटियां थी -

औरंगज़ेब की पाँच बेटियाँ थी -

  • जेब उन्न निसा
  • जीनत उन्न निसा
  • बद्र उन्न निसा
  • जब्त उन्न नीसा
  • मेहर उन निसा।

औरंगजेब का इतिहास -

औरंगजेब को 1634 ई. में शाहजहाँ ने दक्कन का सूबेदार बनाया। 1644 ई. में औरंगजेब की एक बहन की अचानक मृत्यु हो गई, इसीलिए वे काफी दिनों तक अपने घर आगरा नहीं गये। वे कई हफ्तों के बाद आगरा गये, इसी बात से नाराज होकर शाहजहाँ ने औरंगजेब को दक्कन के सूबेदारी पद से हटा दिया। साथ ही उनके सारे राज्य-अधिकार छीन लिये गये। उनको दरबार में आने की मनाही थी।

जब शाहजहाँ का गुस्सा शांत हो गया, तो शाहजहाँ ने 1645 में औरंगजेब को गुजरात का सूबेदार बनाया दिया। यह मुगल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रांत था। गुजरात में उन्होंने अच्छा शासन-प्रबंध किया जिसके चलते अफगानिस्तान का गवर्नर बना दिया गया। 1653 ई. में औरंगजेब एक बार फिर दक्कन के सूबेदार बने। इन्होंने अकबर द्वारा बने गये राजस्व-नियम को दक्षिण में भी लागू कर दिया। इस समय औरंगजेब के बङे भाई दाराशिकोह अपने पिता शाहजहाँ के सबसे प्रिय पुत्र थे। दोनों भाइयों की सोच विपरीत थी। इस वजह से दोनों के बीच सत्ता को लेकर लङाई होती रहती थी।

उत्तराधिकार का युद्ध - 

1657 ईस्वी में शाहजहाँ बहुत बीमार पङ गये। इसके चलते तीन भाईयों - दारा शिकोह, औरंगजेब और शाह शुजा के बीच उत्तराधिकार का युद्ध प्रारम्भ हो गया। तीनों भाईयों में औरंगजेब सबसे अधिक शक्तिशाली था। उन्होंने अपने भाईयों को बन्दी बना लिया और अपने वृद्ध पति शाहजहाँ को आगरा के किले में 7 साल तक बंदी बनाकर कर रखा। इस सत्ता-संघर्ष में औरंगजेब दाराशिकोह को मारकर अंतिम रूप से विजयी हुआ।

बहादुरपुर का युद्ध - 

  • बहादुरपुर का युद्ध शाह शुजा और मिर्जा राजा जयसिंह के मध्य 14 फरवरी, 1658 ई. को हुआ।
  • शाहशुजा इस युद्ध में पराजित हुए।

धरमत का युद्ध - 

  • धरमत (मध्यप्रदेश) का युद्ध 15 अप्रैल, 1658 ई. को जसवंत सिंह, शाही सेना व औरगंजेब के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में औरंगजेब का साथ उसके छोटे भाई मुराद ने दिया था। इसमें औरंगजेब विजयी हुआ।
  • इस युद्ध में जसवंत सिंह पराजित होने के बाद अपने राज्य वापस आया लेकिन पत्नी के द्वारा दरवाजा न खोलने के कारण पुनः युद्ध करने के लिए चला गया।
  • इसी युद्ध के बाद औरंगजेब ने अपने भाई मुराद को अपने रास्ते से हटाने के लिए बंदी बना लिया।

सामूगढ़ का युद्ध - 

  • सामूगढ़ (धौलपुर) का युद्ध 29 मई, 1658 ई. को औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य हुआ।
  • इसमें औरंगजेब विजयी हुआ।
  • इस युद्ध में विजयी होने के बाद शाहजहाँ को आगरा के किले में बंदी बना लिया गया था।

खजुवा का युद्ध (उत्तरप्रदेश) - 

  • खजुवा का युद्ध (उत्तरप्रदेश) 5 जून, 1659 ई. को औरंगजेब व शाहशुजा के मध्य हुआ, जिसमें औरंगजेब ने विजय प्राप्त की।

देवराई/दौराई का युद्ध - 

  • देवराई/दौराई का युद्ध 11-15 अप्रैल 1659 ई. को औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य हुआ, जिसमें औरंगजेब ने विजय प्राप्त की। यह अंतिम युद्ध था, जिसमें दारा शिकोह को अंतिम रूप से पराजित किया।
  • इसके बाद उसे बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया, जहाँ उसे धार्मिक न्यायालय में फाँसी की सजा दी गई।
  • 1659 ईस्वी में महाराजा जसवन्त सिंह को गुजरात का सूबेदार बनाया गया।
  • जामरूद (अफगानिस्तान) नामक स्थान पर 28 नवम्बर, 1678 ई. में जसंवतसिंह राठौङ की मृत्यु हुई। इनकी मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा आज कुफ्र (धर्म विरोध) का दरवाजा टूट गया है।
  • औरंगजेब ने मारवाङ को खालसा राज्य घोषित किया व इन्द्रसिंह को शासक बनाया।
  • उत्तराधिकार युद्ध में जहाँआरा ने दाराशिकोह की, रोशनआरा ने औरंगजेब की तथा गोहनआरा ने मुराद की मदद की थी।

औरंगजेब का राज्याभिषेक -

  • औरंगजेब का राज्याभिषेक दो बार हुआ था।
  • सामूगढ़ की विजय के उपरान्त एवं आगरा पर अधिकार कर लेने के पश्चात् औरंगजेब ने 31 जुलाई, 1658 ई. को दिल्ली में अपना प्रथम राज्याभिषेक कराया, और आलमगीर (Alamgirnama) (दुनिया को जीतने वाला) की उपाधि ग्रहण की।
  • किन्तु खंजवा और देवराई से युद्ध में क्रमशः शुजा और दारा को अन्तिम रूप से परास्त करने के बाद पुनः 15 जून 1659 ई. को दिल्ली में अपना दूसरा राज्याभिषेक करवाया। दूसरे राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने गाजी की उपाधि धारण की थी।
  • औरंगजेब का शासन काल अकबर के पश्चात् सबसे लम्बा 50 वर्षों तक रहा था।
  • औरंगजेब का साम्राज्य समस्त मुगलों में सबसे विशाल था। उस समय मुगल साम्राज्य चरमोत्कर्ष अवस्था में था।
  • इन्होंने अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मोहम्मद औरगंजेब आलमगीर की उपाधि धारण की थी।
  • औरंगजेब के सिंहासनारूढ़ होने के बाद उसकी सफलताओं पर बधाई देने के लिए फारस के शाह ने शाह बुदाग वेग के नेतृत्व में एक फारसी दूत मण्डल मुगल दरबार में भेजा जिसका वर्णन मनूची ने अपनी पुस्तक स्टोरियों द मोगोर में बहुत बढ़ा-बढ़ाकर किया है।
  • दूत मण्डल का भव्य स्वागत हुआ जिसे 60 अरबी घोङे एवं 37 कैरेट का एक गोल मोती तथा शाह की पसन्द पान के पत्तों को उपहार स्वरूप भेंट किया गया।

औरंगजेब के सैन्य अभियान - 

  • औरंगजेब ने 1660 ई. में मीर जुमला को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असम, पूर्वी क्षेत्रों आदि पर नियन्त्रण स्थापित करने हेतु आदेश दिया था।
  • मीर जुमला ने 1661 ई. में कूचबिहार पर आक्रमण किया और सम्पूर्ण राज्य को मुगल साम्राज्य में मिला दिया।
  • 1663 ई. मीरजुमला की मृत्यु हो गये उसके बाद बंगाल का गवर्नर शाइस्ता खाँ को नियुक्त किया गया।
  • शाइस्ता खाँ ने 1666 ई. में पुर्तगालियों को दण्ड दिया, बंगाल की खाङी में स्थित सोनद्वीप पर अधिकार कर लिया तथा अराकान के राजा से चटगाँव जीत लिया।
  • 1686 ई. को औरंगजेब बीजापुर को जीत लेता है वहाँ का सिकंदर आदिलशाह आत्मसमर्पण कर देता है।
  • 1687 ई. में गोलकुण्डा पर भी विजय प्राप्त करता है।

शिवाजी और औरंगजेब के बीच संघर्ष - 

औरंगजेब शिवाजी की शक्ति को दबाना चाहता था, क्योंकि उस समय बीजापुर राज्य का स्थान नवस्थापित मराठा शक्ति ने ले लिया, जो मुगल सत्ता के लिए एक चुनौती थी। शिवाजी का पहला संघर्ष 1656 ई. मुगलों के साथ तब आरम्भ हुआ जब शिवाजी ने अहमदनगर और जुन्नार किले पर आक्रमण किया।

1660 ई. में औरंगजेब ने दक्षिण के मुगल सूबेदार शाइस्ता खाँ को शिवाजी पर आक्रमण करने के लिए भेजा। शाइस्ता खाँ ने पूना, शिवपुर और चाकन आदि किलों पर अधिकार कर लिया। शिवाजी ने 1663 ई. में पूना में स्थित शाइस्ता खाँ के महल पर रात में आक्रमण कर दिया। शाइस्ता खाँ मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागा, किन्तु उस समय उसका एक अँगूठा कट गया था।

पुरन्दर की सन्धि - Purandar Ki Sandhi

औरंगजेब ने 1665 ई. में आमेर के राजा मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा। जयसिंह ने उसे पराजित कर 22 जून, 1665 ई. को पुरन्दर की सन्धि करने के लिए विवश कर दिया। पुरन्दर की सन्धि जयसिंह की व्यक्तिगत विजय थी। उसने एक कूटनीति चाल के तहत शिवाजी से सन्धि कर ली, क्योंकि बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी से मैत्री करना आवश्यक था।

पुरन्दर की संधि की शर्तें -

  • शिवाजी को औरंगजेब की अधीनता स्वीकार करनी पङी।
  • साथ ही मिर्जा राजा जयसिंह ने शिवाजी द्वारा मुगलों के जीते गये 35 किलों में से 23 किले पुनः लौटा दिये गये।
  • इस सन्धि के तहत् शिवाजी के बङे पुत्र शम्भाजी को औरंगजेब के दरबार में भेजा व 5 हजार मनसब दिया गया।
  • मिर्जा राजा जयसिंह शिवाजी को औरंगजेब के दरबार में चलने की प्रार्थना करता है तथा मुगल सत्ता से रियायत दिलाने के लिए आगरा में आमंत्रित करता है।
  • 22 मई, 1666 ई. में शिवाजी आगरा के किले के दीवाने आम में उपस्थित हुए। तब उन्हें औरंगजेब ने आगरा में स्थित जयपुर भवन में नजरबन्द करवा दिया। मिर्जा जयसिंह के पुत्र रायसिंह ने आगरा से शिवाजी को निकालने में मदद की।

शिवाजी की मृत्यु के बाद उसके पुत्र शम्भा जी ने मुगलों से संघर्ष जारी रखा, किन्तु असावधानी के कारण 1689 ई. में अपने मंत्री कवि कलश के साथ पकङा गया और 21 मार्च, 1689 ई. में शम्भा जी का कत्ल कर दिया गया। 1690 ई. तक मुगल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था, जो काबुल से लेकर चटगाँव और कश्मीर से लेकर कावेरी नदी तक फैला था।

शम्भा जी की मृत्यु के बाद उसके सौतले भाई राजाराम के नेतृत्व में मराठों का मुगलों से संघर्ष जारी रहा जो मराठा इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम के नाम से विख्यात है। औरंगजेब की यही दक्कन नीति उसके व्यक्तिगत तथा मुगल साम्राज्य दोनों के पतन का कारण बनी।

कहा जाता है कि जिस प्रकार स्पेन के नासूर ने नेपोलियन को नेस्तनाबूद कर दिया उसी प्रकार दक्कन के नासूर ने औरंगजेब को नेस्तनाबूद कर दिया।

औरंगजेब की धार्मिक नीति - 

  • औरंगजेब कट्टर सुन्नी मुसलमान था, मीर मुहम्मद हकीम औरंगजेब के गुरु थे। इसी कट्टरता के कारण इसे शाही दरवेश अथवा जिन्दापीर के नाम से भी जाना जाता है।
  • औरगंजेब ने इस्लाम के महत्त्व को समझते हुए कुरान (शरियत) को अपने शासन का आधार बनाया।
  • औरंगजेब ने 1559 ई. में कुरान के नियमों के अनुसार ही इस्लामी आचरण संहिता के नियमों की पुर्नस्थापना के लिए अनेक अध्यादेश प्रसारित किया।
  • औरंगजेब ने धार्मिक नीति का प्रमुख उद्देश्य भारत को दार-उल-हर्ब (काफिरों का देश) के स्थान पर दार-उल-इस्लाम (इस्लाम का देश) बनाना था।
  • औरंगजेब इस्लामी कानूनों को मानता था। इसी कारण अपनी कट्टर सुन्नी प्रजा के लिए जिन्दा-पीर कहलाता था। अपने सादे रहन-सहन रोजे और नमाज का नियमित रूप से पालन करने तथा जीवन भर शराब न पीने के कारण शाही दरवेश के रूप में भी जाना जाता था।
  • औरंगजेब ने 1665 ई. में एक राज्यादेश द्वारा बिक्री योग्य माल पर मुस्लिम व्यापारियों से 2.5 प्रतिशत, जबकि हिन्दू व्यापारियों से वस्तु का 5 प्रतिशत की दर से सीमा-शुल्क निर्धारित किया। उसने 1667 ई. में मुस्लिम व्यापारियों को इस शुल्क से पूर्णतः मुक्त कर दिया।
  • औरंगजेब ने 1668 ई. में हिन्दू-त्यौहारों और उत्सवों को मनाये जाने पर रोक लगा दी। सन् 1668 ई. से होली व दीपावली मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • औरंगजेब 1663 ई. में सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा हिन्दुओं पर तीर्थयात्रा-कर लगाया। यद्यपि इससे पूर्व अकबर ने भी सती प्रथा को बन्द कराने का प्रयास किया, किन्तु औरंगजेब ने इसे पूर्ण रूप से बन्द करवाया।
  • औरंगजेब ने प्रारम्भ से ही अपनी कट्टरता का परिचय देते हुए अपने सिक्कों पर कलमा (कुरान की आयतें) खुदवाना, साथ ही पारसी नववर्ष नौरोज का आयोजन, सार्वजनिक संगीत समोरोहों, भांग उत्पादन, शराब पीने तथा जुआ खेलने आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
  • औरंगजेब ने धार्मिक उलेमाओं का सहयोग प्राप्त करने के लिए कट्टर सुन्नी सिद्धांतों को अपनाया और इसी के तहत 1669 ई. में हिन्दू मंदिरों को तोङने का आदेश जारी किया। सम्पूर्ण भारत में हिन्दू मंदिरों को तोङा गया। इनमें कुछ प्रसिद्ध मन्दिर बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवदेव जी, वृंदावन का गोविन्ददेवजी, गुजरात का सोमनाथ मंदिर आदि प्रमुख थे।
  • हिन्दुओं को घोङे और हाथी के सवारी पर रोक लगा दी थी।
  • 1679 ई. में औरंगजेब ने हिन्दुओं पर पुनः जजिया कर (Jajiya Kar) लगा दिया यद्यपि उसे 1704 ई. में दक्कन से यह कर उठा लेना पङा।
  • औरंगजेब के जजिया कर लगाने का उद्देश्य धार्मिक न होकर पूर्ण रूप से राजनैतिक था क्योंकि वह मुस्लिम धर्माधिकारयों व जनता का समर्थन लेना चाहता था, जिससे अपने ऊपर भाई की हत्या तथा पिता के कैद जैसे आरोपों को नजर अंदाज करवाना चाहता था।
  • हिन्दुओं पर पुनः तीर्थयात्रा कर भी लगा दिया। जजिया कर लगाने पर मेवाङ के महाराणा राजसिंह ने विरोध किया। इटली यात्री मनूची इसका वर्णन करता है।
  • औरंगजेब ने अपने राज्याभिषेक के अवसर पर विभिन्न करों राहदारी (आन्तरिक पारगमन शुल्क), पानदारी (व्यापारिक चुंगियों), आवबावो (स्थानीय कर) तथा गैर इस्लामी करों को हटा दिया।
  • गरीबी से जूझने वाले हिन्दू इन करों को चुकाने में असफल थे, तो उन्हें मजबूरन मुस्लिमी धर्म को अपनाना पङता था।
  • वह सभी हिन्दू और सिक्खों को मुस्लिम बनाना देना चाहता था।
  • सिक्खों के 9 वें गुरू गुरु तेगबहादुर सिंह ने औरंगजेब की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठायी, जिसे अत्याचारी औरंगजेब बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने गुरु तेगबहादुर सिंह को सूली पर लटका दिया था।
  • औरंगजेब ने नौकरी-पेशा हिन्दूओं की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें काफी तकलीफ दी थी।
  • उसने सरकारी नौकरी कर रहे हिन्दू कर्मचारियों को बर्खास्त कर, उनकी जगह मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान जारी किया था।
  • मुगलों पर लगने वाला तमगा कर भी हटा दिया गया था।
  • औरंगजेब ने अपने शासनकाल के 11 वें वर्ष को झरोखा-दर्शन एवं 12 वें वर्ष को तुलादान प्रथा (बादशाह को सोने चाँदी से तौलना) खत्म कर दिया था।
  • उसने दरबार में संगीत पर प्रतिबंध लगा दिया। औरंगजेब ने वैश्याओं को देश छोङने का आदेश दिया।
  • औरगंजेब निर्दयी और क्रूर मुगल सम्राट था।
  • उसने कृष्णजी की नगरी मथुरा का इस्लामाबाद, वृंदावन का मेमिनाबाद, गोवर्धन का नाम बदलकर मुहम्मदपुर रख दिया था।
  • औरंगजेब ने मुहतसिब (धर्माधिकारी) नामक अधिकार की नियुक्ति की, जिसका कार्य समाज में यह देखना था, कि आम जनता धर्म के अनुसार आचरण कर रही है, या नहीं।
  • औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा खुदवाने की परम्परा को बंद कर दिया। औरंगजेब ने गुरुवार को मजारों पर जाने और वहाँ दीये जलाने की परम्परा को बन्द करवा दिया।
  • औरंगजेब के समय में उसके दरबार में हिन्दू मनसबदारों की संख्या 337 थी जो अन्य सभी मुगल सम्राटों की तुलना में सर्वाधिक थी। इन सब मनसबदारों में सबसे ज्यादा मराठा व दक्षिण भारत के अमीर थे।
  • औरगंजेब को वीणा बजाने का बङा शोक था। औरगंजेब के काल में संगीत से संबंधित सर्वाधिक पुस्तक की रचना की गई।
  • औरंगजेब के काल में फकीर उल्लाह नामक विद्वान ने संगीत से संबंधित पुस्तक मानकुतुहल का फारसी भाषा में रागदर्पण के नाम से अनुवाद किया।
  • औरंगजेब ने सर्वाधिक मुगल विस्तार किया था।

औरंगज़ेब की राजपूत नीति - 

मुगल बादशाह औरंगजेब का सिंहासनरूढ़ होना मुस्लिम धर्म विचारकों की विजय थी। उसके विचार में भारत काफिरें का देश था। अतः भारत को इस्लामिक देश में परिवर्तित करना उसके जीवन का मुख्य ध्येय था। औरंगजेब कट्टर सुन्नी मुसलमान था, तथापि वह सफल कूटनीतिज्ञ भी था। मुगल सिंहासन पर अधिकार करते ही उसने साम्राज्य के सभी बङे सरदारों को अपनी ओर मिलाने की चेष्टा की।

औरंगजेब ने अकबर द्वारा प्रारम्भ की गयी एवं जहाँगीर तथा शाहजहाँ द्वारा अनुसरण की गयी राजपूत नीति में परिवर्तन कर दिया। क्योंकि वह राजपूतों को अपनी धार्मिक नीति के कार्यान्वित होने में सबसे बङी बाधा मानता था। औरंगजेब के समय आमेर के राजा जयसिंह, मेवाङ के राजा राजसिंह और जोधपुर के राजा जसवन्त सिंह प्रमुख राजपूत राजा थे।

सामूगढ़ के युद्ध में दारा की पराजय के समाचार मिलते ही मिर्जा राजा जयसिंह औरंगजेब की सेवा में उपस्थित हो गया। जोधपुर के शासक जसंवतसिंह को भी फरमान भेजा कि वह भी दरबार में उपस्थित हो। धरमत के युद्ध में औरंगजेब का सामना करने के कारण जसवंतसिंह को शाही दरबार में उपस्थित होने में हिचकिचाहट हो रही थी लेकिन मिर्जा राजा जयसिंह के बीच-बचाव करने पर 14 अगस्त, 1658 ई. को शाही दरबार में उपस्थित होकर जसवंतसिंह ने औरंगजेब की अधीनता स्वीकार कर ली। 20 नवम्बर, 1658 ई. तक बूँदी का भावसिंह और कोटा का जगतसिंह भी औरंगजेब के शाही दरबार में पहुँच गये।

जयपुर के मिर्जा राजा जयसिंह ने दारा का पक्ष छोङने के बाद औरंगजेब की निष्ठापूर्वक सेवा की, परन्तु उसके पुत्र रामसिंह की देखरेख में आगरा में बंदी बनाकर रखे गये शिवाजी का वहाँ से भाग जाना एक ऐसी घटना थी जिससे औरंगजेब को जयसिंह तथा उसके पुत्र रामसिंह दोनों में विश्वास न रहा। उसने रामसिंह का मनसब छीन लिया और शाही दरबार से निष्कासित कर दिया तथा मिर्जा राजा जयसिंह को दक्षिण की सूबेदारी से हटा दिया। जयसिंह इस सदमे को सहन नहीं कर पाया 1667 ई. में बुरहानपुर में इसकी मृत्यु हो गई। हालांकि माना जाता है कि औरंगजेब ने उसे रास्ते में जहर दिला दिया था। अतः स्पष्ट है कि औरंगजेब के शासनकाल में राजपूत-मुगल सहयोग की बुनियाद हिलने लग गई थीं।

जसवन्त सिंह औरंगजेब के प्रति स्वामिभक्त रहा था और काबुल के प्रांतपति के रूप में उसने अफगानों के विद्रोह का दमन भी किया था। 1678 ई. में उसकी मृत्यु जमरूद नामक स्थान पर हो गई। उस समय उसका कोई वैध उत्तराधिकारी नहीं था और उस पर राजकोष का धन भी उधार था, इसलिए औरंगजेब ने अस्थाई तौर पर मारवाङ को केन्द्रीय प्रशासन के अधीन कर दिया। लेकिन जसवंत सिंह की दो रानियाँ उसकी मृत्यु के समय गर्भवती थी और दोनों ने पुत्र को जन्म दिया। इनमें एक ही बालक अजीत सिंह जीवित रहा। अब दुर्गादास के नेतृत्व में मारवाङ के राठौङ सरदारों ने अजीत सिंह को गद्दी सौंपने की माँग प्रस्तुत की। मगर औरंगजेब एक नवजात शिशु को शासक बनाने के पक्ष में शिविर से पलायन किया और जोधपुर पहुँचकर विद्रोह छेङ दिया। औरंगजेब ने विद्रोह के दमन के लिए सेना भेजी।

शाही सेना ने मंदिरों आदि को तोङा और ऐसे दमनात्मक कार्य किए जिससे राजपूतों की विरोध-भावना और भङकी। 1679 में मारवाङ के युद्ध के समय ही औरंगजेब ने जजिया पुनः लागू करने के आदेश भी दिये थे। उसने जसवंत सिंह के भाई अमर सिंह के पौत्र इन्द्र सिंह को मारवाङ का राजा घोषित कर दिया परन्तु औरंगजेब के प्रतिनिधि होने के नाते इन्द्रसिंह राजपूतों की निष्ठा प्राप्त नहीं कर सका। उसे वापस पद से हटा दिया गया। मारवाङ पर पुनः मुगलों का सैनिक नियंत्रण स्थापित हो गया। राजपूत विद्रोह ने तब और उग्र रूप धारण कर लिया जब मेवाङ के शासक राजसिंह ने अजीत सिंह की सहायता के लिए युद्ध में प्रवेश किया।

इसी समय औरंगजेब का बेटा राजकुमार अकबर, जो अजमेर का सूबेदार था, विद्रोही हो गया और राजपूतों से मिलकर औरंगजेब को सत्ता से हटाने के लिए प्रयासशील हुआ। औरंगजेब को सत्ता से हटाने के लिए प्रयासशील हुआ। औरंगजेब ने स्वयं राजपूतों के विरूद्ध कार्रवाई की। उसने अकबर और राजपूतों के बीच फूट डाल दी और राज सिंह के उत्तराधिकारी जगत सिंह के साथ संधि कर ली। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु तक राठौङों का विद्रोह चलता रहा और मारवाङ में संघर्ष की स्थिति बनी रही।

औरंगजेब की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी बहादुरशाह प्रथम ने अजीत सिंह को मारवाङ का शासक मान लिया। दोनों पक्षों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बहाल हो गये।

औरंगजेब का उत्तराधिकारी कौन था - 

औरंगजेब का उत्तराधिकारी बहादुरशाह प्रथम था।

औरंगजेब के समय में हुए प्रमुख विद्रोह - 

जाट विद्रोह -

पहला संगठित विद्रोह - गोकुल

  • औरगंजेब के खिलाफ किया गया यह पहला संगठित विद्रोह था, जो दिल्ली और आगरा के जाटों ने किया था।
  • किसानों ने, काश्तकारों और मजदूर वर्ग के लोगों ने यह विद्रोह किया था और इसमें सामन्तों का मुख्य हाथ था।
  • यह विद्रोह आर्थिक परिस्थितियों को लेकर हुआ था।
  • जाटों का प्रथम संगठित विद्रोह 1669 ई. में गोकुल नामक जाट सरदार के नेतृत्व में हुआ था।
  • अन्ततः 1670 में तिलपत के युद्ध में हसन अली खाँ जाटों के विद्रोह को समाप्त कर दिया गया और गोकुला को बन्दी बनाकर मार डाला।

दूसरा संगठित विद्रोह - राजाराम

  • गोकुल के बाद 1685 ई. में जाटों का दूसरा संगठित विद्रोह राजाराम के नेतृत्व में हुआ।
  • इस विद्रोह में जाटों ने छापामार हमलें तथा लूटमार की थी।
  • इस विद्रोह के दौरान राजाराम ने सिकन्दरा में स्थित अकबर के मकबरे को खोदकर उसकी हड्डियों को बाहर निकालकर जला दिया था।
  • बाद में 1688 ई. में औरंगजेब के पौत्र वीदर बख्श और आमेर के राजा विशन सिंह ने राजाराम को मार दिया था।
  • राजाराम की मृत्यु के बाद उसके भतीजे चूडामन ने जाटों के नेतृत्व को संभाल और चूडामन औरंगजेब की मृत्यु तक उसके साथ विद्रोह करता रहा था।

सतनामी विद्रोह/मुंडिया विद्रोह - 

  • यह विद्रोह 1672 ई. में नारनौल व महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) के आसपास के भू-भाग में रहने वाले सतनामियों द्वारा किया गया। जिन्हें मुण्डिया कहा जाता था।
  • सतनामी अधिकतर किसान, दस्तकार तथा नीची जाति के लोग थे।
  • यह मुगल पदाधिकारियों के अत्याचारों के विरुद्ध होने वाला विद्रोह था।

अफगान विद्रोह - 

  • 1667 ई. में युसुफजई कबीले के एक सरदार भागू ने एक प्राचीन शाही खानदान का वंशज होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति मुहम्मदशाह को राजा बनाया और स्वयं को उसका वजीर घोषित करके विद्रोह कर दिया।
  • मुगलों द्वारा अमीर खाँ के नेतृत्व में इस विद्रोह को दबाया गया था।
  • 1672 ई. में अफगानों ने अफरीदी सरदार अकमल खाँ के नेतृत्व में एक बार फिर विद्रोह का झण्डा बुलन्द कर दिया। उसने स्वयं को राजा घोषित किया। उसने अपने नाम का खुतबा पढ़वाया तथा सिक्का चलवाया।
  • औरंगजेब ने 1675 ई. में स्वयं जाकर शक्ति और कूटनीतिक प्रयासों द्वारा अफगानों की एकता तोङी और शान्ति स्थापित किया।
  • अफगान विद्रोह का कारण पृथक अफगान राज्य की स्थापना का उद्देश्य था। इस विद्रोह को रोशनाई नामक धार्मिक आन्दोलन ने पृष्ठभूमि प्रदान की थी।

राजपूत विद्रोह -

  • यह विद्रोह 1679 ई. में जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद दुर्गादास राठौङ के नेतृत्व में हुआ।
  • इस विद्रोह में मेवाङ और मारवाङ के शासक शामिल थे तथा इसके बाद औरंगजेब को राजपूत शक्ति का सहयोग प्राप्त नहीं हो सका, जो उसके अन्य पूर्वजों को प्राप्त हुआ और अंततः यही उसके पतन का कारण बना।

शाहजादा अकबर का विद्रोह -

  • मारवाङ के संरक्षक दुर्गादास राठौङ एवं मेवाङ के शासक का सहयोग प्राप्त करके अकबर ने 11 जनवरी, 1681 ई. को अपने को स्वतंत्र बादशाह घोषित कर दिया।
  • 1681 ई. में औरंगजेब के विरुद्ध उसके पुत्र अकबर ने विद्रोह किया।
  • शिवाजी के पुत्र शम्भाजी ने भी शाहजादा अकबर को सहायता दी थी।
  • दक्षिण में पहुँचने के बाद औरंगजेब ने इसका पीछा किया और जब सभी ओर से अकबर को सहायता प्राप्त नहीं हुई तो वह फारस भाग गया।

सिक्ख विद्रोह -

  • औरंगजेब के विरुद्ध होने वाला सिक्खों का यह अन्तिम विद्रोह था।
  • औरगंजेब के समय में होने वाला यह एकमात्र विद्रोह था जो एक धार्मिक विद्रोह था।
  • सिक्खों के 9 वें गुरू गुरु तेगबहादुर सिंह ने औरंगजेब की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठायी, जिसे अत्याचारी औरंगजेब बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने गुरु तेगबहादुर सिंह को 1675 ई. में फाँसी की सजा दी थी।
  • गुरू तेजबहादुर की मृत्यु के बाद गुरू गोविन्द सिंह ने औरंगजेब की धर्मान्ध नीतियों का लगातार विरोध किया। 1704 ई. में गुरू गोविन्द सिंह ने औरंगजेब के पास जफरनामा भेजा था।

औरंगज़ेब का निर्माण-कार्य -

औरगंजेब को कला के प्रति कोई रूचि नहीं थी, बहुत कम निर्माण कार्य करवाये।

मोती मस्जिद -

औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया।

बीबी का मकबरा -

  • औरंगजेब ने अपनी पत्नी दिलरास बानो बेगम (राबिया उद दौरानी) की याद में औरंगाबाद के पास (महाराष्ट्र) 1678 में एक मकबरा बनवाया था, जिसे बीबी का मकबरा कहा जाता है।
  • कहा जाता है कि यह ताजमहल की घटिया (फूहङ) नकल है, जिसे दक्षिण का ताजमहल या द्वितीय ताजमहल कहा जाता है।
  • इसे मिनी ताजमहल (Mini Taj Mahal) भी कहा जाता है।

औरंगज़ेब ने लाहौर में जामा मस्जिद व बादशाही मस्जिद (1674 ई.) का निर्माण करवाया। इसके अलावा जहाँआरा का मकबरा, खान-ए-खाना का मकबरा (दिल्ली) भी बनवाये थे।

औरंगज़ेब की मृत्यु कब हुई -

औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 ई. को अहमदनगर के पास (महाराष्ट्र) में हुई थी।

औरंगजेब का मकबरा कहां है -

  • औरगंजेब के शव को दौलताबाद से 4 किमी. दूर स्थित फकीर बुरुहानुद्दीन की कब्र के अहाते में दफनाया गया।
  • औरंगजेब का मकबरा औरंगाबाद ज़िले के ख़ुल्दाबाद नामक शहर (महाराष्ट्र) में है।

जवाहरलाल नेहरू ने 1946 में प्रकाशित अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में औरंगजेब को एक धर्मांन्त और पुरातनपंथी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।

औरंगजेब से संबंधित प्रश्न उत्तर -

1. औरंगजेब का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर - 3 नवम्बर, 1618


2. औरंगजेब का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर - गुजरात के दाहोद जिले


3. औरंगजेब का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर - अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मोहम्मद औरगंजेब आलमगीर


4. औरंगजेब ने कौनसी-कौनसी उपाधियाँ धारण की थी ?
उत्तर - आलमगीर, जिन्दापीर, शाही दरवेश


5. औरंगजेब के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर - शाहजहाँ


6. औरंगजेब की माता का नाम क्या था ?
उत्तर - मुमताज महल


7. औरंगजेब का विवाह कब हुआ था?
उत्तर - 18 मई, 1637 ई.


8. औरंगजेब की पत्नी कौन थी?
उत्तर - दिलरास बानो बेगम


9. औरंगजेब के गुरू का नाम क्या था ?
उत्तर - मीर मुहम्मद हकीम


10. औरंगजेब के भाई कौन-कौन थे ?
उत्तर - दारा शिकोह, शाह शुजा, मुराद


11. औरंगजेब की दिलरास बानो बेगम के अलावा और बेगमों के नाम बताइये ?
उत्तर - उदैपुरी महल, बेगम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम (रबिया दुर्रानी), औरंगाबादी महल, उदयपुर महल, जैनबाङी महल, झैनाबादी महल।


12. औरंगजेब को किन-किन भाषाओं का ज्ञान था ?
उत्तर - अरबी, फारसी, तुर्की भाषा का ज्ञान


13. शाहजहाँ ने औरंगजेब को सन् 1634 में कहाँ का सूबेदार नियुक्त किया था ?
उत्तर - दक्कन का सूबेदार


14. औरगंजेब के शासनकाल का समय क्या था ?
उत्तर - 31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1770


15. औरंगजेब का राज्याभिषेक कितनी बार हुआ था ?
उत्तर - दो बार


16. औरंगजेब का प्रथम राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - 31 जुलाई 1658 ई., दिल्ली में


17. औरंगजेब का द्वितीय राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - 15 जून 1659 ई., दिल्ली में


18. पहला राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने कौन-सा उपाधि ली ?
उत्तर - अबुल मुजफ्फर आलमगीर


19. दूसरे राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने कौन-सी उपाधि धारण की थी।
उत्तर - गाजी


20. औरंगजेब ने आलमगीर की उपाधि कब धारण की ?
उत्तर - 1658


21. अकबर के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला मुगल शासक कौन था ?
उत्तर - औरंगजेब (50 वर्षों तक शासन)


22. कौन मुगल साम्राज्य का छठा एवं अन्तिम शासक था।
उत्तर - औरंगजेब


23. शाहजहाँ ने औरंगजेब को कब गुजरात का सूबेदार बनाया ?
उत्तर - 1645 ई.


24. औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को किस किले में नजरबंद किया था ?
उत्तर - आगरा का किला (7 वर्ष)


25. धरमत का युद्ध किनके बीच लङा गया ?
उत्तर - जसवंत सिंह, शाही सेना व औरगंजेब के बीच (15 अप्रैल, 1658 ई.)


26. सामूगढ़ (धौलपुर) का युद्ध कब और किसके बीच हुआ।
उत्तर - 29 मई, 1658 ई. को औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य


27. देवराई/दौराई का युद्ध कब और किससे बीच हुआ ?
उत्तर - औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य (11-15 अप्रैल 1659 ई.)


28. जसवंतसिंह राठौङ की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर - जामरूद (अफगानिस्तान) नामक स्थान पर 28 नवम्बर, 1678 ई. में जसंवतसिंह राठौङ की मृत्यु हुई।


29. जसवंतसिंह राठौङ की मृत्यु पर औरंगजेब ने क्या कहा था ?
उत्तर - इनकी मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा आज कुफ्र (धर्म विरोध) का दरवाजा टूट गया है।


30. सन् 1660 में औरंगजेब ने किसे बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया था ?
उत्तर - मीर जुमला को


31. औरंगजेब ने बीजापुर को कब जीता था ?
उत्तर - 1686 ई.


32. औरंगजेब ने गोलकुण्डा पर कब विजय प्राप्त की थी?
उत्तर - 1687 ई.


33. शिवाजी का पहला संघर्ष मुगलों के साथ कब आरम्भ हुआ ?
उत्तर - शिवाजी का पहला संघर्ष मुगलों के साथ 1656 ई. में आरम्भ हुआ।


34. शिवाजी ने मुगलों के विरुद्ध किस किले पर पहला आक्रमण किया था ?
उत्तर - अहमदनगर एवं जुन्नार के किले पर


35. सन् 1663 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस मुगल सूबेदार को पराजित किया था ?
उत्तर - शाइस्ता खाँ


36. छत्रपति शिवाजी महाराज की दक्षिण में बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए औरंगजेब ने किसे भेजा था ?
उत्तर - मिर्जा राजा जयसिंह


37. जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य पुरन्दर की संधि कब हुई ?
उत्तर - 22 जून, 1665 ई.


38. औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करके कहाँ रखा था ?
उत्तर - जयपुर भवन


39. औरंगजेब ने शिवाजी को कब बंदी बना लिया था ?
उत्तर - 22 मई, 1666 ई.


40. किस राजा ने आगरा से शिवाजी को निकालने में मदद की ?
उत्तर - मिर्जा जयसिंह के पुत्र रायसिंह ने आगरा से शिवाजी को निकालने में मदद की।


41. किस मुगल बादशाह को जिंदापीर और दरवेश के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर - औरंगजेब


42. औरंगजेब मूलतः था ?
उत्तर - कट्टर सुन्नी मुसलमान


43. औरगंजेब ने इस्लाम के महत्त्व को समझते हुए किसको अपने शासन का आधार बनाया।
उत्तर - कुरान (शरियत) को


44. औरंगजेब की धार्मिक नीति का प्रमुख उद्देश्य क्या था ?
उत्तर - भारत को दार-उल-हर्ब (काफिरों का देश) के स्थान पर दार-उल-इस्लाम (इस्लाम का देश) बनाना था।


45. औरंगजेब ने जजिया कर पुनः कब लगाया था -
उत्तर - 1679 ई. में


46. किस मुगल शासक ने संगीत और नृत्य पर प्रतिबंध लगाया था ?
उत्तर - औरंगजेब


47. किस मुगल शासक ने हिन्दू-त्यौहारों और उत्सवों को मनाये जाने पर रोक लगा दी थी ?
उत्तर - औरंगजेब


48. औरंगजेब ने किन-किन करों को हटा दिया था ?
उत्तर - औरंगजेब ने अपने राज्याभिषेक के अवसर पर विभिन्न करों राहदारी (आन्तरिक पारगमन शुल्क), पानदारी (व्यापारिक चुंगियों), आवबावो (स्थानीय कर) तथा गैर इस्लामी करों को हटा दिया।


49. औरंगजेब कौन सा वाद्ययंत्र बजाने में निपुण था ?
उत्तर - वीणा


50. औरंगजेब ने कब सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया था ?
उत्तर - 1663 ई.


51. औरंगजेब की नीतियों का किस सिख गुरु ने विरोध किया था ?
उत्तर - सिक्खों के 9 वें गुरू गुरु तेग बहादुर सिंह ने


52. औरंगजेब ने हिन्दू मंदिरों को तोङने का आदेश कब दिया था ?
उत्तर - 1669 ई.


53. औरंगजेब ने अकबर द्वारा शुरू किए गए किस उत्सव को समाप्त कर दिया ?
उत्तर - नौरोज उत्सव तथा झरोखा दर्शन


54. औरंगजेब ने राज्य की गैर मुस्लिम जनता पर कौन-सा कर लगाया ?
उत्तर - जजिया


55. किस मुगल बादशाह के समय सर्वाधिक मनसबदार थे -
उत्तर - मुगल बादशाह औरंगजेब


56. किस मुगल बादशाह के शासनकाल में हिंदू मनसबदारों की संख्या अधिक थी ?
उत्तर - औरंगजेब के समय में कुल हिंदू मनसबदारों की संख्या 337 थी।


57. औरंगजेब ने किन-किन हिन्दू मंदिरों को तोङा था ?
उत्तर - औरंगजेब ने सम्पूर्ण भारत में हिन्दू मंदिरों को तोङा था। इनमें कुछ प्रसिद्ध मन्दिर बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवदेव जी, वृंदावन का गोविन्ददेवजी, गुजरात का सोमनाथ मंदिर आदि प्रमुख थे।


58. किस मुगल बादशाह के शासनकाल में सर्वाधिक विद्रोह हुए थे ?
उत्तर - औरंगजेब के शासनकाल में


59. औरंगजेब के शासनकाल का पहला विद्रोह कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - जाट विद्रोह - मथुरा में जाट नेता गोकुला के नेतृत्व में 1669 ई. में


60. गोकुला के बाद दूसरा जाट विद्रोह कब और किसने किया था ?
उत्तर - राजाराम के नेतृत्व में 1685 ई. में दूसरा जाट विद्रोह हुआ


61. किसने अकबर की हड्डियों को खोदकर निकाल कर जला दिया था ?
उत्तर - राजाराम


62. औरंगजेब के समय का एकमात्र धार्मिक विद्रोह जो अंतिम विद्रोह भी था -
उत्तर - सिक्ख विद्रोह


63. सन् 1704 गुरु गोविंद सिंह ने औरंगजेब के पास जो पत्र भेजा उसका क्या नाम था ?
उत्तर - जफरनामा


64. सतनामियों का विद्रोह कब हुआ था ?
उत्तर - 1672 ई.


65. बीबी का मकबरा का निर्माण किसने करवाया था ?
उत्तर - मुगल बादशाह औरंगजेब के पुत्र आजम शाह ने अपनी माता दिलरास बानो बेगम (रबिया दुर्रानी) की याद में


66. रबिया दुर्रानी की याद में बनवाया बीबी का मकबरा कहाँ स्थित है ?
उत्तर - औरंगाबाद के पास (महाराष्ट्र)


67. कौनसा मकबरा द्वितीय ताजमहल कहलाता है ?
उत्तर - बीबी का मकबरा


68. दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण किसने किया था ?
उत्तर - औरंगजेब ने


69. औरंगजेब का मकबरा कहाँ है ?
उत्तर - औरंगाबाद के जिले खुल्दाबाद (महाराष्ट्र)


70. औरंगजेब की मृत्यु कब और कहाँ पर हुई ?
उत्तर - 3 मार्च, 1707 (88 वर्ष) में अहमदनगर के पास।

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