भारत में ब्रिटिश राज का इतिहास

  Last Update - 2023-06-12

भारत में ब्रिटिश राज का इतिहास और गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची

History Of British Rule In India In Hindi

भारत में ब्रिटिश शासन का इतिहास:

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में “इंडिया” कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, “ब्रिटिश इंडिया”) और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी।

ब्रिटिश राज गोवा और पुदुचेरी जैसे अपवादों को छोड़कर वर्तमान समय के लगभग सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक विस्तृत था। विभिन्न समयों पर इसमें अदन (1858 से 1937 तक), लोवर बर्मा (1858 से 1937 तक), अपर बर्मा (1886 से 1937 तक), ब्रितानी सोमालीलैण्ड (1884 से 1898 तक) और सिंगापुर (1858 से 1867 तक) को भी शामिल किया जाता है। बर्मा को भारत से अलग करके 1937 से 1948 में इसकी स्वतंत्रता तक ब्रितानी ताज के अधिन सीधे ही शासीत किया जाता था। फारस की खाड़ी के त्रुशल स्टेट्स को भी 1946 तक सैद्धान्तिक रूप से ब्रितानी भारत की रियासत माना जाता था और वहाँ मुद्रा के रूप में रुपया काम में लिया जाता था।

ब्रिटिश राज के गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची:

गवर्नर जनरल/वायसराय कार्यकाल अवधि जरुरी जानकारी
वारेन हेस्टिंग्स 1774 – 1785 भारत में सबसे पहले गवर्नर जनरल (वे फोर्ट विलियम के गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए थे पर भारत में तैनात ईस्ट इंडिया कंपनी के सभी अधिकारियों पर उनका नियंत्रण था)। उनके कुछ अनुचित कार्यों के लिए, (अर्थात् रोहिल्ला युद्ध, नंद कुमार को प्राणदण्ड, राजा चैत सिंह और अवध की बेगमों के मामले के लिए) उनके खिलाफ‌ इंग्लैंड में महाभियोग चलाया गया था।
लॉर्ड कार्नवालिस 1786 – 1793 स्थायी निपटान (पर्मानेंट सेट्टल्मेंट), ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच जमीन पर लिया जाने वाला राजस्व निश्चित करने के लिए समझौता, उनकी अवधि के दौरान लागू किया गया था।
लॉर्ड वेलेस्ले 1798 – 1825 सहायक गठबंधन (सबसिडियरी अलियांस) की शुरूवात इन्होने की। इसके तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी से प्राप्त संरक्षण के बदले में भारतीय शासक अपने राज्य क्षेत्र में ब्रिटिश सेना रखने पर सहमत हुए। सहायक गठबंधन को स्वीकार करने वाला पहला राज्य हैदराबाद था।
लार्ड विलियम बेंटिक 1828 – 1835 1828 मे भारत के पहले गवर्नर जनरल नियुक्त। उन्होंने सती प्रथा को गैरकानूनी और भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की।
लॉर्ड डलहौजी 1848 – 1856 उन्होने कुख्यात डॉक्ट्रीन ऑफ लैप्स की शुरुआत की। भारत में रेलवे और टेलीग्राफ का आगमन उनकी अवधी में ही हुआ। उन्हे आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है।
लॉर्ड कैनिंग 1856 – 1862 वे 1857 की लड़ाई के दौरान गवर्नर जनरल थे। उन्हे युद्ध के बाद पहला वायसराय नियुक्त किया गया।
लॉर्ड मेयो 1869 – 1872 वे अंडमान द्वीप समूह में एक अपराधी द्वारा मारे गए थे। भारत मे पहली जनगणना इसी अवधी में हुई थी पर इसमे सारे राज्य सम्मलित नही थे।
लॉर्ड लिटन 1876 – 1880 1 जनवरी 1877 को दिल्ली दरबार अथवा शाही दरबार, जिसमे महारानी विक्टोरिया को केसर-ए-हिंद घोषित किया गया, का आयोजन इनकी अवधि के दौरान हुआ था। भारतीय भाषा के समाचार पत्रों पर नियंत्रण रखने वाला अधिनियम वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 इन्ही कि अवधि में पारित हुआ।
लॉर्ड रिप्पन 1880 – 1884 उन्होंने शासन की दोहरी प्रणाली की शुरुआत की। भारत की पहली सम्पूर्ण एवं समकालिक जनगणना 1881 मे आयोजित की गई। वे इल्बर्ट बिल के साथ भी जुड़े थे जिसके तहत भारतीय न्यायाधीश ब्रिटिश अपराधियों को दण्डित कर सकते थे।
लॉर्ड डफ्फरिन 1884 – 1888 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना इनकी अवधि के दौरान हुई थी।
लॉर्ड कर्जन 1899 – 1905 बंगाल का विभाजन तथा स्वदेशी आंदोलन की शुरुवात।
लॉर्ड हार्डिंगे 1910 – 1916 1911 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई। इंगलैंड के राजा, जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में उपस्थित होने के लिए 1911 मे भारत आए। राश बिहारी बोस और अन्य द्वारा उनकी हत्या का प्रयास किया गया।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1916 – 1921 1919 के जलियांवाला बाग त्रासदी उनकी अवधि के दौरान हुई। मोंटेग चेम्सफोर्ड सुधार, रोलेट एक्ट, खिलाफत आंदोलन आदि घटनाएं भी इनकी अवधि से जुड़ी हैं।
लॉर्ड रीडिंग 1921 – 1926 चौरी-चौरा की घटना इनकी अवधि में घटी। इसी दौरान महात्मा गाँधी को पहली बार जेल भेजा गया।
लॉर्ड इरविन 1926 – 1931 इनकी अवधि साइमन कमीशन, गांधी इरविन समझौता, पहली गोलमेज सम्मेलन और प्रसिद्ध दांडी मार्च से जुड़ी है.
लॉर्ड विल्लिंगडन 1931 – 1936 दूसरे और तीसरे गोल मेज़ सम्मेलन का आयोजन, रामसे मैकडोनाल्ड का साम्प्रदायिक निर्णय और महात्मा गाँधी और डॉ० अम्बेडकर के बीच पूना पक्ट इस अवधि से जुड़ी घटनाएँ हैं।
लॉर्ड लिन्‌लिथगो 1936 – 1943 किर्प्स मिशन का भारत दौरा और भारत छोड़ो आंदोलन इनकी अवधि से जुड़े हैं।
लॉर्ड वावेल 1943 – 1947 शिमला सम्मेलन और कैबिनेट मिशन का भारत दौरा इसी अवधि में हुआ।
वर्ष महत्व
1857 भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम जिसे अंग्रेजों द्वारा सिपाही विद्रोह का नाम दिया गया।
1885 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन।
1905 बंगाल का विभाजन, स्वदेशी आंदोलन।
1909 मिंटो मॉर्ले सुधार।
1911 भारत की राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण।
1919 भारत सरकार अधिनियम 1919, रोलेट एक्ट, जलियांवाला बाग त्रासदी।
1920 खिलाफत आंदोलन।
1922 उत्तर प्रदेश में चौरी चौरा आक्रोश।
1928 साइमन कमीशन का भारत आना, लाला लाजपत राय का देहांत।
1929 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प।
1930 दांडी मार्च, नागरिक अवज्ञा आंदोलन का आरंभ।
1931 गांधी इरविन समझौता, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी।
1935 भारत सरकार अधिनियम, 1935।
1942 भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज़ की संरचना।
1943 क्रिप्स आयोग का भारत दौरा।
1946 ब्रिटिश कैबिनेट मिशन का भारत दौरा।

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